Doori Poem
केहने को हम पास है पर
कितनी दूरी है
ये भी कैसी मज़बूरी है
तुमसे हमदर्दी भी
नहीं कर सकता मैं
मेरे बस की बात नहीं है
मैं ये बेहते आंसू पोछुं
उतनी मेरी औकात नहीं है
मै भी यहीं हूं
तुम भी यहीं हो
पर सच ये है
मैं हूं कहीं
तुम और कहीं
केहने को हम पास है पर
कितनी दूरी है
ये भी कैसी मज़बूरी है